गुरुवार, 6 नवंबर 2008

हाथी खाएगा इडली-डोसा


हाथी अब इडली-डोसा का भोग लगाने की तैयारी में है। तख्त-ए-दिल्ली को फतह करने के मकसद से बीएसपी राजधानी में रहने वाले दक्षिण भारतीयों को नीले झंडे के नीचे लाने में जुटी है ; दरअसल बीएसपी के रणनीतिकार राजधानी के हर उस वर्ग को छूने की कोशिश कर रहे जो अभी तक राजनेताओं की नजरों से अछूता रहा है। यूपी में सोशल इंजीनियरिंग का कमाल दिखा चुकी यह पार्टी अब दिल्ली में रह रहे हर उस मतदाता को खंगालने में जुटी है जिसकी सुध आज तक किसी वोटर ने नहीं ली है; राजधानी में कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल व आंध्र प्रदेश के मूल निवासी बडी तादाद में रह रहे हैं; अकेले आंध्र प्रदेश के 9-10 लाख लोग दिल्ली में रह रहे हैं, आंध्र भवन में रजिस्टर्ड लोगों की तादाद ही 6 लाख से ज्यादा है; दरअसल मायावती की निगाहें अब दिल्ली की कुर्सी पर हैं बिना दक्षिण भारत में पांव फेलाए दिल्ली फतह की उम्मीद बेकार है इसी गणित को समझ कर पहले दिल्ली के चुनावों में दक्षिण भारतीयों को और फिर उनके सहारे दक्षिण भारत में अपनी पहुंच बनाने की कोशिश इस बार बीएसपी करेगी

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

हाथी पहले उठता है यानी पहले चुनाव में हारने के लिए खड़ा होता है; फिर किसी ताकतवार को हराने के लिए; और फिर जीतने के लिए। तीन टर्म में माया की सोशल इंजीनियरिंग है।..इस तरह हाथी पहले सांवर तैयार करेगा और फिर इडली-डोसा बनाएगा।...लेकिन आज का लोकतंत्र धर्म और जाति आधारित हो गया है; वह दुर्भाग्‍यपूर्ण है।